हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,दिल्ली / कर्बला उस धरती का नाम है जो ज़ुल्म और अत्याचार से लड़ना सिखाती है,आज से लगभग १४०० वर्ष पहले जब यज़ीद जैसे अत्याचारी ने सिर उठाया था, तब पवित्र पैगंबर इमाम हुसैन (अ.स.)हज़रत इमाम हुसैन (अ.) ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस्लाम के चमान को इस तरह आबाद किया जिस से आज लबिक या हुसैन की आवाज़ पूरी दुनिया में गूंज रही है.
द्वारका पार्क स्थित हुसैनिया में मजलिस को खिताब करते मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी (लखनऊ) ने इन विचारों को व्यक्त करते हुए,
अलहुसैनी फ़िक्र अलमसीही जैसी किताब लिखने वाले गैर-मुस्लिम ने कहा, "इमाम हुसैन इब्ने अली पर शांति हो, जो अपनी शहादत के माध्यम से पूरी दुनिया इज़्ज़त दे गए।"
कर्बला को केवल 61हिजरी तक सीमित करना अस्वीकार्य है।आज भी है कर्बला, बस ज़माने के तानाशाह को पहचानना है, जो कर्बला का संदेश है।
अंत में मौलाना सैयद हैदर अब्बास ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जीवन के सबसे कठिन से कठिन दौर में शुक्र करना नहीं भूलना चाहिए।
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20 اگست 2021 - 18:05
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हौज़ा/कर्बला को केवल 61हिजरी तक सीमित करना अस्वीकार्य है।आज भी है कर्बला, बस ज़माने के तानाशाह को पहचानना है, जो कर्बला का संदेश है।