मासूमा ए क़ुम
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इमाम रज़ा (अ.स.) की दरगाह पर जाकर मेरे टूटे हुए दिल को शांति मिल गई, बोस्नियाई तीर्थयात्री
हौज़ा / एक बोस्नियाई तीर्थयात्री जो शोक और टूटे हुए दिल के साथ इमाम अली रज़ा (एएस) के पास इस उम्मीद के साथ आया था कि वह अभयारण्य के पानी से अपने दिल के घावों और दुखों को धो देगा। आज कई सालों के बाद अपने से निराशा को दूर करते हुए हिमायत की उम्मीद के लिए इमाम रजा के पास जाकर मुशर्रफ बनी हैं।
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मुल्क और मलाकुत की महान खातून हज़रत फातिमा मासूमा क़ुम
हौज़ा / हज़रत मासूमा क़ुम वह महिला है जिसकी कृपा का स्रोत चिरस्थायी है, जिन पर खुदा वंदे आलम, पवित्र पैगंबर, इमाम, औलिया ए इलाही, स्वर्ग और पृथ्वी के निवासी दुरूद व सलाम भेजते हैं।
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मासूमा ए क़ुम (स.अ.) करीमा ए अहलेबैत, मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी छौलसी
हौज़ा / जिस तरह इमाम हसन (अ.स.) को पवित्र अहलेबैत की उपाधि से मासूम इमामों के बीच करीमे अहलेबैत के लकब से याद किया जाता है, उसी तरह मासूमा ए क़ुम को करीमा ए अहलेबैत कहा जाता है। आपका नाम "फातिमा" है, आपका लकब "मासूमा" है और खिताब "करीमा ए अहलेबैत" है।
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करीमए अहलेबैत हज़रत फातिमा मासूमा स०अ०
हौज़ा / अल्लाह का हरम,मक्का है,रसूल स०अ० का हरम मदीना है,अमीरूल मोमिनीन अ०स० का हरम कूफा है और हम अहलेबैत का हरम,क़ुम है। जन्नत के आठ दरवाज़ो में से तीन दरवाज़े कु़म की जानिब खुलते हैं। मेरी औलाद में से एक खातून क़ुम में शहीद होंगी जिनका नाम फातिमा बिनते मूसा अ०स० होगा और उनकी शिफ़ाअत से हमारे तमाम शिया जन्नत में दाखिल होंगे।